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NERUL WEST, MAHARASHTRA, India
Special educator in CWHI

Monday, May 28, 2018

कथा : एक गधे की

( दिनांक: गुरुवार २४, में २०१८ रेडीओ FM गोल्ड हिंदी चानेल वर ऐकलेली कथा ,अजून वाचनात नाही )

दिनांक – सोमवार २८,में २०१८ .



एक भूमिहीन मजदूर आपण दिनभर काम करेके आपने बनाये हुये मिटी के बर्तन आपने सर पर रखकर गाव- गाव जाकर बेच लेता और आपणा घर परिवार चला लेता .येह समान लाने धोने के लिये उसके पास न कोई नोकर था न कोई वाहन या कोई चार पायी वाला प्राणी था .

युंही ही एकदिन वह आपणा समान बेचकर आपने घर जा रहा था .उसे एक नदी किनारे एक छाव भरा पेड दिखा तब उसने सोचा की चलो यहा थोडा आराम कर लु .

पास में जो रोटी थी उसने पेड के नीचे बैठकर आराम से खा ली और नदी का मिठा पाणी पीकर वह पेड के नीचे लेट ही रहा था ,ठीक उशी दरम्यान एक ऋषी महामुनी वहां से गुजर रहे थे .वह भी वहां आराम के लिये ठहेर गये .और बातों बातों में उस ऋषी महाराज ने ,उन्हे पूछा की ,क्या आपके पास कोई वाहन का साधन नाही है ? उसने कहा जी नाही है .फिर ऋषी महाराज ने कहा मेरे घर में एक गधा ही उसे आप ले आना और आपणा काम चला लेना .



फिर एक दिन वह महाशय ने उस गढे को घर ले आये और आपणा धंदा उसिसे करणे लगे .उस गढे का उन्हे खूब फायदा हुवा ,महिने गुजर गये .एकदिन वह गधा बिमार पडा और मर गया .गढे के मरने का दुःख बहुत हुवा . उस महाशय ने सोचा की इसकी कबर किंव न बनाई जाय जिसने मुझे बहुत धन कामाकर दिया ,और मैने उसे आपने परिवार का हिस्सा समजकर देखभाल किया था .

ठीक उसने वही किया ,गधे की कबर खोदकर उसे दाफ्ना दिया .उसे बहुत ही .उसका दुखः सहेन न हुवा और पास में बैठकर फुट फुट कर रोने लगा .कूच समय बाद एक मुसाफिर वहां से गुजर रहा था उसने येह दृश देखा ,और कूच न कहते हुये ,उसे नमन किये आगे निकाल गया .मन ही मन में सोचता रहा कोई बडा पंडित या महान व्यक्ती मरा होगा उसके दुख में वह बेचारा रोता होगा ? फिर जो भी वहां से गुजर था वही प्रणाम करके चुप चाप चले जाते .पूरा दिन गया वही होता रहा .

शाम ढल गयी ,कूच पल निकल गए तब जिसने उन्हें गधा दिया था वह ऋषी महाराज भी वहा पधारे ,उन्होंने पुछा की क्या हुवा किसकी कबर पे रो रहे हो ? तो उसने बीती बताई .तब ऋषी महाराज को बताई . ऋषी महाराज बोले वहा मेरे आश्रम के बगल में बड़ा सा मंदिर जो है मैंने उसे बनवाया था ,और वह मंदिर इस गधे के माँ का है ?

तात्पर्य : ठीक इसी तरह यहाँ भारत में सभी मंदिर बने हुये है और बन रहे है और जोरोंसे पूजा पाठ चल रहा है

मांसाहारी माणसं.

कोण काय खातो याची उठाठेव करत नाहीत मांसाहारी माणसं. कुणी शाकाहारी आहे म्हणून त्याला भाड्याने घर नाकारत नाहीत, मांसाहारी माणसं. आपण मांसाहारी...