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NERUL WEST, MAHARASHTRA, India
Special educator in CWHI

Saturday, July 20, 2024

डॉन ( १९७८ ) फिल्म

सदियोंका_नायक_मिलेनियम_स्टार_अमिताभ ! ( बुद्ध का ही नाम मिला है )





डॉन ( १९७८ )  फिल्म का यह गाना आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है फिल्मों के महानायक अमिताभ बच्चन की जिस गाने में बहुत अच्छी एक्टिंग और मुंबई शहर का बहुत अच्छा है । गांवों मे फिल्म आते आते ४/५ साल लग जाते । ८० से दशक मे हमरे गाँव डॉन पधारे , उस जमाने  में यह गाने वीडियो में सुना करते थे और विद्यार्थी जीवन में सुनकर आपस में डिस्कशन भी करते हैं आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए यह वास्तविक जीवन पर आधारित गाने एक भावी पीढ़ी की धरोहर रहेंगे । 

ना जाने कितनी बार देखा है डॉन! सभी गाणे किशोरदा का आवाज और अमितजी का अभिनय! ऐसी फिल्म फिर नही बन सकेंगी!!! बेशक ?

सच्चाई और संस्कृति से भरा बहुत ही अच्छा गीत जो मन को अत्यंत सुखद अनुभव करता है । उस समय आज जो हम मरीन ड्राइव देखते और वहा बैठ ते है उसिका काम चल रहा था तब इधर डॉन का यह गाना शूट किया गया था । 

किशोर कुमार जैसा कोई नहीं.. क्या गायकी है । अमिताभ की कलाकारी का कोई जवाब नही

ये ऐसे रोल किसके बस की बात नही हमने पूरे ५०  साल से देख रहें दिलसे अमित सर और किशोर दा को सलाम । 

किशोर दा के  गाने का अंदाज और अमिताभ जी का अभिनय बड़ा ही लाजवाब है । खासकर इस फिल्मे । मुक्कड़र का सिकंदर ,लवासरीक्ष ,शोले और शराबी तक किशोर दा ने जो एक सुर अमिताभ के लिए अलग से ढाल कर रक्खा था वह सदाबहार था । 

गीतकार  लालजी पांडे उफँ अंजान  साहब ने अमीताभ बच्चन के लिए एक से बढकर एक गीत लिखे,  और वह सभी गाने हिट ही हुये,  चाहे वह मुकद्दर का सिंकदर हो या शराबी , याराना हो या डाँन या फिर  गंगा की सौगंध हो या फिर  लावारिस  , सभी फिल्म के गाने बेहतर ही लिखे ।   किशोर दा का क्या कहना वह आवाज तो अमीताभ के लिए गहना थी  !

मुजे ईस गाने मे सिर्फ एक ही चीज अच्छी नहि लगी है और उसकी खासियत ये है की बच्चन साहब जो पान खाकर जमीन पर पिचकारी मरते है ? है क्या नही मजे की बात .. ...मुंबई के जमीन पर । 

सदी के महा नायक  एंग्री मैन  अमिताभ आज ८१  साल के हो गए है क्या कहना। पिता हरिवंश राय बच्चन जी से, अमिताभ जी को संस्कार मिले. माँ तेजी बच्चन से अध्यात्म मिला और जब दोनों का मिलन हुआ, तो देश को इनके जैसे नायक मिला . जब तक भारत देश का वजूद रहेगा, बच्चन जी तब तक भारतीय इतिहास में याद किये जाते रहेंगे. आप ऐसे ही  अपने चाहने वालो का मनोरंजन करते रहे । पीढ़ी दर पीढ़ी । 

                                                               .........................प्रा. बी आर शिंदे ,नेरुल नवी मुंबई ७०६





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