Friday, November 25, 2016

जोहीला: जिल्हा शहडोल

जोहीला: जिल्हा शहडोल

शहडोल की जनगणना और विकलांगता :2011 भारत की जनगणना के अनुसार, शहडोल में 100,565 की आबादी थी। पुरुषों और महिलाओं की जनसंख्या 49% से 51% है। शहडोल में 80% की एक औसत साक्षरता दर 59.5% के राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक है: पुरुष साक्षरता 86% है, और महिला साक्षरता 72% है। जनसंख्या का 12% उम्र के 6 वर्ष से कम है।

यहाँ का  जीवन स्तर  बहुत सरल है।  खास कर गाओ में उनके घरों में मिट्टी, बांस की छड़ें, धान के पुआल और स्थानीय टाइल्स के बने होते हैं। आम तौर पर यहाँ आदिवासी का वास होता है  पुरुषों धोती, बांदी, और सिर गियर पहनते हैं। महिलाओं को साड़ी नाम "कांश " स्थानीय बोली में साड़ी पहनती हैं। साड़ी शरीर के  रंग जैसे  होता है।

खासकर आदिवासी समुदाय में महिलाओं को अपने शरीर के अंगों को हाथ, पैर और गर्दन रंगों के साथ पूरा ढक हुवा हुवा  पाने के लिए पसंद करते हैं। वे बांस, बीज और धातुओं के बने गहने के विभिन्न प्रकार के पहनते हैं।यह यहाँ की विशेषता है।

विकांगता रेशो पुरुषों और महिलाओं की औसत  17 % से 21 % है। शहडोल में 15 % की एक औसत विकलांगता  दर 22 % है इसीको मद्ये नजर रखते हुए हर दो साल के बाद शहडोल के कुछ ब्लॉक में कर्णबधिर के सम्पूर्णतः विकास के लिए कैंप करते है ,उसे जिल्हा विकांग सेवा की और से संपन्न किया जाता है। इसी तरह का कैम्प पिछले दो साल इसी विभाग में लगाया गया था। दुबारा फिर इसी जगह पे विकलांग के लिए कम्प का आयोजन किया गया है।

मैं अपनी कार्यालीन कामकाज  के लिये जिला  उमरिया, मध्ये प्रदेश में  गाया था,सुबह कि शांत किरणे अपना संचार करणे आसमान में फैलीथी।  

हम पांच वैद्यकीय अधिकारी  उमरिया से करकेली गांव में विकलांग कैंप करने जा राहे थे .करकेली में विकलांग लोगोंकेलिये  श्रवणयंत्र वितरण हेतु शिबिर का आयोजन किया गया था।  

करकेली यह गाव उमरियासे  लगभग  ३२ किलोमीटर दूरीपर  होगा ,येह ब्लोक उमरीया - शह्डोल के ८७ राष्ट्रिय महामार्ग  पर स्थितः हैं.रास्तेसे  थोडीही  दुरी पार करनेके बाद  ,एक सुंदरसी नदी मिलती है  जिसका नाम हैं ‘जोहीला’.

       मैं पहली बर उस शहर  जा राहा था ,शहर से बहार निकलते ही अचानक एक सुंदरसा मोड हैं जहा एक सुंदरसा एहसास होता हैं लागता हैं ,वह एक सुन्दर सी नदी बहती हुई दिखाई देती है ,हम काही छोटीसी झेलम या गोदावरी के पास आगये हो,दूर- दूर दराज तक  दिखाने वाले विशाल पानिकी बहती हुई धराये  ,गहरासा डोंगा पाणी ,जैसे लगता है कोई सुरीली आवाज में गीत गरहा हो।

धीरे धीरे जैसी ही मेरी कार नदी के पुल  पर आती है ,नदी के  दुतर्फा फैला हुवा विशाल हरा भरा किनारा दिखाई देता है। जैसे किसीने हरे-हरे  गालीचे लगाये  हो  ,दोनों बाजुमें  छोटे -छोटे  किनारेके बीच बहेने वाली छोटीसी पानिकी तमन्ना ,पुरे पत्थर के चट्टनोंको  काटती हुई अपनी परीकर्मा कि ओर जाती हुई दिखाई देती हैं ,ऐसा लागता हैं कि कोई कलाकारणे अपने हातोंसे उसे आकार दिया हो? सुन्दर से  छोटे -छोटे  पथर नादिके बीच खढे हुये हैं इन पत्थरोंके एकदम बीचो -बिचसे पानी की धारा  बहती हैं, उसे किसीका लेना देणा नाही हैं। कितने साल उसे लगे  होगे वह पत्थर  काटने ? एक कलाकार की आकृति जैसी दिखाई देती है वह मनमोहम पत्थर की बीचोबीच कढ़ी हुई पत्थरे।
 
नदी :जोहिला

कितनी बरीकीसे उस पथरोंकी  छटाई और कटाई होगाई है। इतने कठीण पत्थर  काटनेमे  कितने साल बीते होगे ? जो भी हो इतनी कला किसी नदी के बीचो बिच में मैने आजतक नाही देखी ? .इतनी कला आपको खाजुरावो के पत्थर  पर भी दिखाई नही देगी,इतनी महान कला कोई विश्वकर्मा ने बनाई हो ,लगता हैं ,अजंता वेरूल  के गुफामे भी जो पत्थर  कटे हो ,ठीक इसीतरह दिखाई देते है।
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        जोहीला अपने विशाल पात्र से पछिम  से  पूरब कि ओर  बहती हैं ,मैं जब वाहसे गुजर राहाथा उसवक्त  अक्टोबर था ,जोहिला  अपने  कही- कही कम पाणी के चलते  बहना तोड देती हैं ,लेकीन सुबह कि लाल किरणे उसे एक सुंदरसा तारो ताजा मोड देती हैं ,लगता ही नहीं की,वह  नहीं बह रहा हो?

हर एक नया राही  अने जाने वाला येही सोचता होगा , कि येह कोनसी नदी हैं ? तापी,गोदावरी या नर्मदा ?
जोहीला एक शीतल शांत नदी में से एक हैं ,कहते हैं जब बरसात में  बहती हैं तो ,लागता हैं गंगा मैया हो ,सबको सुखदाई और इस  किनारेसे उस किनारोतक  भरकर बहने वाली छोटे छोटे गावोंको  एक शीतल सा अहसास देणेवाली ,मां जोहीला।

कभी आप कटनी से  शह्डोल जा राहे हो ,या उमरिया जा रहे हो तो रास्तेमे दो पल  रुककर जोहीला को जरूर देखीयेगा जो अपने नादिके पात्र में एक विशालसा पत्थर दिखाई देगा उसे देखकर कहियेगा की  "गीत गाया पथरोने  " ,वह एक  एहसास जरूर होगा।

ऐसी  कितनी जोहीला हमारे हिदुस्थाने में फहेली हुई हो जो हमे मालूम नही हो ?ऐसे कितने प्रकृति के रंग है इस भारत वर्ष में जो हमें मालिम नहीं है।

हम हिदुस्थानी पुरे संसारमें  भ्रमण करते हैं जैसे कभी युरोप ,कभी जपान कभी सिंगापूर घुमते हैं पर हम कभी जहा हिदुस्तान के आदिवाशी  राहते हो ,जहा कोई आता जाता नही है  वाह हमे जाना होगा ,गाव गाव घुमणा होगा ,छोटे गाव में ,छोटी छोटी सड़कों  पर सफर करणा होगा ,तो आप देख सकते हो जोहीला जैसे ,अनेक नादिया जिसका जिक्र कही दिखाई न हो ,जो कही दिखाई न हो जो कही उजागर न हो ,वह देखणे में कितना आनंद मिलेगा ..

इस आनंद में आपको हमरा सारा हिदोस्ता दिखाई देगा ...

जोहिला नदी 


नुकत्याच होऊ घातलेल्या लोसाभेच्या निवडणुका आणि तृतीयपंथ .

नुकत्याच होऊ घातलेल्या लोसाभेच्या निवडणुका आणि तृतीयपंथ .


सन्माननीय सुप्रीम कोर्टाने तृतीयपंथीयांना नुकतीच  न्यायमान्यता दिली आहे .थोडक्यात मानवीय अधिकार देउकेले आहेत , यात विशेष हक्क ,शिक्षण ,नोकऱ्यात राखीव जागा इत्यादि . पण हा निकाल केवळ तृतीयपंथीयासाठीच आहे ,तो समलिंगीना  ( गे ,लेस्बिलन आणि बय्सेक्युअल्स ) लागू नसल्याचे कोर्टाने स्पष्ठ केलेलं आहे .

हि सावग्तार्ह बाब असून समाज आणि सरकारी व्यवस्थेकडून वर्षानुवर्षे अवहेलना आणि अपमान सहन करणाऱ्या तृतीयपंथीयांच्या आयुष्याला एक नवीन ओळख करून देणारा निर्णय कोर्टाने करून दिला आहे . याद्वारे यांना एक “तिसरी “ स्वतंत्र ओळख मिळणार आहे ,जरी आपण यांना किन्नर ,किंवा इतर नावाने ओळखत असलोतरी त्यांना एक आता नवीन ओळख मिळणार आहे . आणि सरकारी दफ्तरी असलेल्या वेगवेगळ्या सवलती ,सेवा सुविधा पण दिल्या जाणार आहेत .

समजाच्या मुख्ये प्रव्हात आणण्यासाठी इतराप्रमाणे संपूर्ण अधिकार मिळणार आहेत .

भारतीय लोकशाहीत लोकशाही पद्धतीने निवडणुका घेतल्या जातात ,आणि या निवडणुका घेत असताना सुसूत्र पद्धतीने हि पार पदव्या लागतात ,यासाठी निवडणूक आयोग अमाप खर्च करून निवडणुका सुरळीत पार पाडीत असते . पूर्वीच्या काळात स्त्री पुरुष या प्रवर्गाची वर्गवारी होती ,आणि नंतरच्या काळात यात अपंग हा दुर्लक्षित घटक समाविष्ठ करण्यात आला ,जरी यात मुखे चार ( अंध ,अस्थिव्यंग ,मतीमंद ,आणि कर्णबधीर ) अपंग प्रवर्ग असतील तरी .

निवडणूक आयोगाच्या नियमाप्रमाणे निवडणूक चालू असताना दर दोन तासाने ठराविक ठिकाणचे ठराविक वेळेत म्हणजे प्रत्येकी दोन तासाने किती मतदान झाले याचा अहवाल मतदान केंद्र अधिकार्याला मतदान केंद्राप्रमुखाकडे पाठवायचा असतो ,तेंव्हा त्यात ,एकूण मतदान किती नोंद झाले आणि एकूण स्त्री मतदार किती आणि पुरुष मतदार किती असे अहवाल पाठवावे लागतात .


पण एकंदरीत मतदान प्रक्रियेत कुठेही असा “तृतीयपंथीयांचा “ उल्लेख आढळत नाही कि या प्रवर्गाला ’ स्त्री ‘म्हणावे का ‘पुरुष ‘? का तृतीयपंथीय म्हणावे कि समलिंगी म्हणावे . तरी पुढील येणाऱ्या निवडणुकीत या घटकाचा स्पष्ट असा उल्लेख करावा ,जेणे करून मतदान प्रक्रिया सुरळीत आणि योगेरीतीने अहवाल पाठवणे आणि लिहिणे सोप्पे होईल .

अमर्त्य सेन

  "आज मीतिला चीन मध्ये पाच कोटी पुरुष असे आहेत ज्यांना चिनी समाजातून वधू सापडू शकलेली नाही." जर तुमच्याकडे मोठ्या प्रमाणात निरक्षर...