This blog is for Socially poor ,for uplifting their human values in day today Pure life.Like Buddhism originates in the teachings of Shakyamuni (Gautama Siddhartha), who was born in what is now Nepal some 2,500 years ago.He became increasingly possessed by a longing to abandon the secular world and go out in search of a solution to the inherent sufferings of life.And he gave Triratn ,Four Nobel truth ,Panchshil ,Ashtangik way and ten Parmi .for peace of Globe.
Saturday, June 27, 2020
राजर्षी : राजा शाहू महाराज
हिरे ,माणके ,सोने उधळा ,जयजयकार करा
#डिप्रेशन.
एक लव्ह Matter
सहा वर्षी पूर्वीची गोस्ट आहे ..( आप बिती).
Wednesday, June 17, 2020
मले भी माझ्या जातीचा ले अभिमान आहे भौ !
मले भी माझ्या जातीचा ले अभिमान आहे भौ !
======== प्रा.बा. र. शिंदे==
मालकाचे शेत राखतोवर्षभर घरगडी म्हणून चोवीस तास तिकडेच असतो मी भौ
माझी माय आणि परडी एक अतूट नाते
एकुलती एक बहीण मुरळी हाय भौ
आत्या आराधीन हाय अन मामी ने जटा ठेवल्यात भौ
भीमाच्या गोस्टी ,म्हन्ती हीच काय एकता
चल ग आपुन रानात खुरपाय जाऊ
शाळा शिकून काय फायदाच नाही
वाघ्या बी आम्ही मुरळी बी आम्ही
हलग्या भी आम्ही जोगणी बी आम्ही
मोलकरीण अन देवदासी बी आमी
येवढे शिक्षण घेऊन ज्ञानी का नाही झाले आमी
मले भी माझ्या जातीचा ले अभिमान आहे भौ !
सोडून द्या नाद त्या पुरोहीताचा
चला लागा समतेच्या धम्म मार्गी
होईल इकास तुमच्या जीवनाचा
परत नाही येणार कोणी क्रांति भीमबाबा
घडव जीवन तुझे आणि जा त्या मार्गा
अन प्रभू तो मानवा
मले भी माझ्या जातीचा ले अभिमान आहे भौ !
Tuesday, June 9, 2020
आदिवासी नायक बिरसा मुंडा बाबा हा भारताचा पहिला सुपरहीरो.
Monday, June 8, 2020
तृष्णा ही जटाय !
तृष्णा ही जटाय !
मानव मुक्ति किस तरह हो इस माया जाल से और कौन है जो इस जटा से
मुक्ति पते ? जो इसपर विजय पा सके ?
जो चार अरीय सत्य ,पंचशील,अष्टांगिक
मार्ग और दश पारमी को जान सके और ध्यान कर पालन कर सके वही इस जटा से मुक्ति पा
सके ?
"अन्तो जटा बहि जटा, जटाय जटिता पजा।"
एक समय भगवान
श्रावस्ती में विहार करते थे। उस समय रात में किसी देवपुत्र ने भगवान के पास आकर
अपना संदेह मिटाने के लिए पुछा-
"अन्तो जटा बहि जटा, जटाय जटिता पजा।
तं तं गोतम!पुच्छामि, को इमं विजटये जटं?"
भीतर जटा है,बहार जटा है,जटा से
प्राणी जकड़ी हुई है, इसलिए हे गौतम! आप से पुछता हूँ कि कौन
इस जटा को काट सकता है?
भगवान ने उसका उत्तर
देते हुए कहा-
"सीले पतिट्ठाय नरो सपञ्ञो, चित्तं पञ्ञञ्च भावयं ।
आतापी निपको भिक्खु,
सो इमं विजटये जटं।।"
जो नर प्रज्ञावान है,वीर्यवान है, पण्डित
है, भिक्षु है,वह शील पर प्रतिष्ठित हो,
समाधि और प्रज्ञा की भावना करते हुए इस जटा को काट सकता है।
जटा का तात्पर्य है
तृष्णा। क्योंकि तृष्णा जाल फैलानेवाली है। बार बार उत्पन्न होने वाली तृष्णा बाँस
के झाड आदि के शाखा-जाल कहलाने वाली जटा के समान होने से जटा है। तृष्णा अपनी और
पराई चीजों में, अपने और
दूसरे के शरीर में, भीतर और बाहरी आयतनों में उत्पन्न होने
से भीतर जटा है, बहार जटा है। उसके ऐसे उत्पन्न होने से
प्राणी जटा से जकड़ी हुई है। इसलिए उसने पुछा कि इस जटा को कौन काट सकता है।
भगवान ने उत्तर में कहा-
जो शील, समाधि और प्रज्ञा
में प्रतिष्ठित वीर्यवान पण्डित व्यक्ति है वह तृष्णा रूपी जटा को काट सकता है।
"अयं एकायनो मग्गो।"
संसार के सभी दु:खों
से मुक्ति पाने के लिए यही अद्वितीय मार्ग है। शास्ता बुद्ध ने तृष्णा का समुच्छेद
करने के लिए शील समाधि और प्रज्ञा का आठ अंगों वाले धम्म का उपदेश दिया है।
"ये च धम्मा अतीता च,ये च धम्मा अनागता।
पच्चुपन्ना च ये
धम्मा,अहं वंदामि सब्बदा।।"
नमो तस्स भगवतो
अरहतो सम्मा सम्म बुद्धस्स !
प्रा.बालाजी शिंदे ,नेरूळ -७०६
Mobile : 9702158564
स्पर्श 2
पहला स्पर्श माँ से होता है ,जन्म के तुरंत माँ अपने औलाद को स्पर्श करती है तो उसे लगता है कि उसका जीवन सफल हुवा ,और वह माँ का रूप धारण करती है।
बच्चा अपने माँ के स्पर्श से ही माँ की पहचान बना लेता है ,देखकर ,सुनकर,और आवाज से उसे सुख तो मिल ही जाता है।लेकिन जब माँ स्पर्श करती है।तो बहुत खुश और सचेत रहता है।माँ के गोदी में सोना ,सोते सोते दूध पीना और अछिशी नींद पा लेना ,स्पर्श से ही माँ के पूरे बदन पर खुद खेल ते रहता है। माँ के स्पर्श का अन्य चार गुनोसे सौ गुना लेता है।उसके ग़लोंको हात लगाना ,बलोंको खीचना। आदि .
लेकिन माँ भी उसके स्पर्श को उतानी ही उतावली रहती है। माथे पे चुम लेना ,गाल नोचना ,और नहाते -सोते समय पूरे बदन की मालिश करना ,दोनों को एक स्पर्श का आनंद मिलता है।
जैसे जैसे बालक की उम्र बढ़ जाती है उसकी स्पर्श की परिभाषा बदल जाती है।
पिताजी ,चाचा ,चाची नाना नानी इन्ही के अंग पे खेल खुद कर स्पर्श की दृढ़ता हो जाती है।
इस स्तिथि के बाद जो बालक कदम लेता है वह एक नाजुक मोड़ है ,इस मोड़ में वह आपने पियर ग्रुप में शामिल हो जाता है।
आपने माय अंग या गुप्तांग को जानने की कोशिश करता है। और उतावलापन आजाता है .
लड़का -लड़की अपने अंग को स्पर्श करके अपने अंग को देखकर बार बार जानने की कोशिश करते है,और स्पर्श की भावना जागृत होती है। यहाँ धोके की घंटा दोनों के मन मे आजाती है।
जब स्पर्श न हो तो उस मन से छूनेकी लालसा बढ़ जाती है।
स्पर्श के साथ ,बातें ,और देखने का नजरिया एक मकाम के ओर ले जाता है।
जब शादी की उम्र आ जाती है तो स्पर्श का अर्थ और एहसास बदल जाता है।
पति पत्नी में ही स्पर्श एक रोज का एहसास प्रेम या वीर रस को बढ़ावा देने का मुख्य काम करता है।
शादी के बाद अगर स्पर्श का एहसास न हो तो वह प्रेम और शादी एक नरक बन जाती है।दोनों पति पत्नी एक साथ सो तो जाते है एक ही शय्या पर पूरी रात स्पर्श नही करते है तब ,एक दूसरे के जीवन मे तान तनाव आजाता है ।
जैसे ढेर सारी बातें हो ,शरीर की हलचल हो ,घर किचन में बातों के साथ स्पर्श की बातें हो तो वह अंतिम सुख को काम आजाती है।अगर औरत इन बातोंको इनकार करती है,या इन बातोंको पाप या गलत समज लेती है तो एक तो वह आपसे चाहती नहीं है,या आपके साथ एक अलग से रिश्ता रखना चाहती है।समाज को दिखाने को एक पति की जरूरत पूरी कर लेती है।
और आपके सुख में बाधा पैदा करती है। यह संबंध वाद विवाद और घर में सुख शांति पैदा करता है .
अगर यह स्तिथि कायम हो तो ,इंसान बाहर के स्पर्श को ढूंढता रहता है । किंव की वह स्पर्श का सुख आपने ही घर मे नही पता।ठीक उशी तरह औरत भी अपना रास्ता ढूंढ लेती है। इसलिए पति –पत्नी में रोज और कायम स्पर्श होना बहुत अहमियत रखता है।
घर परिवार में पत्नी और पति में ढेर सारी बातें हो,बातोंसे परिणाम निकल आते है।बातों बातों में एक दुसरोंको सही आत्मीयता से देखने की गरिमा बढ़ जाती है।और पति पत्नी में विश्वास बढ़ जाता है और प्यार की दृढ़ता भी बनकर एक दूसरे से सच्चा प्यार पाते है।
बातोंसे ,देखने से फिर आखरी स्पर्श की बारी आजाती है ।इन दोनों के स्पर्श से अंतिम प्यार और सच्चे प्यार में बदलाव आजाता है। सच्चे प्यार और पानेके लिए स्पर्श ही काफ़ी है।
आपकी नोकरी धन दौलत तो एक बाहरी देखावा है ।इन सब को सचेत रखने के लिए पति पति में 'स्पर्श कायम' होना बहुत ही अहमियत रखता है।
जिस घर मे स्पर्श की परिभाषा का विकास नही हुवा हो,वह घर उध्वस्त है। एक दूसरे में चिड़चिडापण ,रोज का झगड़ा ,और इन सभी का आपने घर परिवार पे बुरा असर होता है। कभी कही एक दूसरे पे शक करना,यह बच्चा मेरा नही है।यहाँतक की झगड़े की नौबत आजाती है।और कभी कभी अलग होनेकी सम्भवना दृढ़ हो जाती है।
अगर येही स्पर्श बाहर कही हो जाता है तो कयामत छा जाती है। किंव कि वह एक पराया स्पर्श होता है।वह फिर दूसरोंकी बीवी हो या पति हो।लेकिन यह स्पर्श कायम वास्तव में नही रहता,कभी कभी धोका देता है,या फिर टूट जाता है।इस स्पर्श को समाज मान्यता नही है।इसलिए यह स्पर्श चोरी छुपे हो जाता है। इस मोड़ पर न आये इसलिए पति पत्नी में कायम और मुलायम स्पर्श होना जरूरी है।
दोनों बाजू का पर्याय स्पर्श समाज मान्यता न होनेपर भी कभी कभी कायम और अंतिम सांस तक चल भी जाता है। आपने घर परिवार में आपने ही बीवी या पति से स्पर्श का सुख न मिले तो बाहर के स्पर्श का रुख बदल जाता है ,और बार बार उसे पानेकी लालसा बन जाती है। स्पर्श जितना सख्त,मुलायम और देर तक रहेगा तो वह दिलो दिमाग मे कायम घर कर लेता है ।आपने पराये बन जाते है,और पराया स्पर्श अपना बन जाता है।
सिर्फ घर मे रह जाते है दो बदन कोई गॉसिप कोई मन की बात नही हो जाती।फिर काम काज की बाते रह जाती है।अपना पन खत्म हो जाता है।रहते है सिर्फ नाम के मिया और बीवी।
पराया स्पर्श घर परिवार में आनेसे घर की खुशियां चली जाती है।परिवार ,बच्चे इनपर भी असर हो जाता है।एक दूसरोंसे बहुत ही दूर चले जाते है।कभी न वापस आने के लिए।
पति पत्नी में स्पर्श बढ़ाना हो तो किंव न हम उसे आपने घर से शुरुवात करे।घर मे हो तो कभी कभी एक दूसरोंको छुए,गाल नोचे ,बालोंमें उंगलिया घुमाए,बैठे बैठे हाथ पकड़ ले, सुबह साथ नहाए,ताकि एक दुसरेकी चाहत बढ़े और अस्पर्श की भावना खत्म हो। एक दूसरोंके बालो में तेल लगाएं ,और कंगी घुमाए। हो सके तो दोनों किचेन में खाना बनाने को जाए ,नजदीकियां बढ़ जाये तो स्पर्श भी बढ़ने लगता है।इन्ही सभी बातोंका स्पर्श आपके प्यार को चार चांद लगा लेता है।
घर परिवार में कभी अकेला पन मिल जाये तो एक दूसरे की गले मे बहे डालकर तोड़ा रूमानी होंजाये,थोड़ा डांस भी करे। संडे के दिन और छुट्टि के दिन सुबह पूरे बदन पर तेल लगाकर मोलिश करे,इन्ही स्पर्श में गॉसिप करते है ,और स्पर्श की लालसा बढ़ेगी और आपका प्यार और मजबूत हो जाएगा ।
छुटी के दिन बाहर सेहर पर चले जाएं,पब्लिक वाहन का भी थोडा उपयोग किया जाय ,जैसे रिक्शा और कार की सफर जदि हो ताकि स्पर्श जादा हो। समंदर पे घूमने जावो ,हात में हात लेकर देर रात तक घूम कर। इससे अंग की गरिमा मिले तब स्पर्श की भावना दृढ़ हो जाये। और आखरी स्पर्श का सुख ले .
यह सभ तजर्बे अपनाने के लिए एक दूसरेका साथ होना बहुत जरूरी है,वरना कोई आपने घर परिवार में दूसरा रुदयस्पर्शी बनके न आये और आपने कानो कान खबर न हो जाये। इसिलए 'आपने पत्नी,या पति से स्पृश सतत और हमेशा बनाये रखे।
काम तनाव से बहुत सी पत्नी और पति एक दूसरोंको इस स्पर्श का एहसास नही दे पाते वही एक दूसरे को सुख नही दे पाते। यह एक आज के घडी का भयावह चित्र है .
इन्ही समश्या को दूर करनेके लिए उपरोक्त सभी प्रकार के कारण आजमाना चाइये। और एक दुसरोंको जादा से जादा समय दे .
साथ में रहना स्पर्श करना यह शरीर के सुख का अंग नही है।फिर भी एक ही पलंग पे सोते है तो बाते करते करते स्पर्श करके सो जाईये सुख मिलेगा ,यहाँ सम्भोग की भावना का सवाल ही नही आता।
कभी कभी आदमी की शरीर भावना तो स्पर्श से शुरुवात होती जरूर है,लेकिन ऐसा नही की आपकी बिवि आपको संभोग करने दे।संभोग एक दिमाग की भावना है।स्पर्श एक एहसास है।यह एहसास हमेशा नही होना चाहिए और वासना भी नही होनी चाइये,वह आपकी बीवी किंव न हो। लेकिन स्पर्श का एहसास जरूर हो।रोज सदाके लिए और कायम। किंव की दोनोके स्वस्थ के लिए शास्त्रीय दृष्टिकोण से उचित है। जैसे स्पर्श होने से शरीर का रक्त स्रव कायम रहता है,उसका नतीजा यह होता है ।आपको शुगर,की बीमारी नही होगी और हार्ट अटैक कभी नही होगा। आप अगर रोज या सप्ताह में तीन बार शरीर सुख पाते हो या देते हो तो आपका बदन का व्यायाम और आयाम ठीक रहेगा ,और आपको बीमारी कभी छुने का नाम नही लेगी।
पूर्वी स्पर्श
पूर्वी स्पर्श जो इंसान के भूले भिचड़े पल में हो जाता है।कभी भूल कर तो कभो अनजाने में कभी जानबूझकर या कभी जबरदस्ती हो या ,किसीसे अनजाने में प्यार होने से।
बहुत से लोगोंको बचमन में कभी स्पर्श हो जाता है और स्पर्श का दायरा बढ़ जाता है।
वह स्पर्श पहला होने से उम्रभर तकलीफ देता है। अगर प्यार टुटा हो तो?
जबरदस्ती से किया हुवा स्पर्श एक मजबूर कर देता है ,कोई जानबूझकर स्पर्श करता है।और जबरदस्ती से स्पर्श का अभ्यास मन मे पैदा कर देता है। वह स्पर्श भूलकर भी भुला नही जाता ।उसे लाख कोशिश के भी दिलो दिमाग से बाहर नही निकल जाता । इसलिए कि वह एक डरावना स्पर्श होता है।
बचपन मे कोई धुश लगाकर पास आकर स्पर्श करनेकी कोशिश करता है।और वह हमारे इछाओंके शिवाय होता है इसलिए वह पल डरावना और घटिया लगता है।
कभी अपना कभी रिस्तेमे ,या कभी पराया स्पर्श करने की कोशिश करता है,और वह कामयाब भी हो जाता है ।ऐशी स्पर्श की भावना दिल और मन को ख़राब कर देती है
फिर किसके स्पर्श की भावना मन मे नही आती।किसीको छुने की भावना और इच्छा मर जाती है।वह स्पर्श की भावना पुनःह जन्म नही लेती।म इसे भी पहला स्पर्श कहाँ जाय. फिर भी पूर्वी स्पर्श भूल जाना ही बेहतरीन होता है।
लेकिन पहला स्पर्श भूल जाना बहुत ही कठिन है। फिर भी इंसान भूल जानेकी कोशिश जरूर करता है।लेकिन कभी कभी फिर से अच्छी स्पर्श की बात बन जाती है तो वह भूल जाता है।भूल जानेकी कई मजबूरी भी बन जाती है।
प्रा बालाजी रघुनाथराव शिंदे
विस्तार सेवा सहाय्यक ( विशेष शिक्षा )
विस्तार सेवा विभाग ,अ.या.ज.रा.वा.श्र.वि.संस्था ,बांद्रा (प) मुंबई ५०
balajiayjnihh@gmail.com
balajirshinde.blogspot.com
www.ayjnihh.nic.in
‘एक “ति”चं आसण !
‘एक “ति”चं आसण
“ति”चं आसण ही एक मनात आणि घरात एक उत्तम सहवास निर्माण
करणारी एक अविभाज्य आणि अभेद्य निर्वात
पोकळी आहे .इथे असणे आणि नसणे या दोन गोष्टी या विरुद्ध टोकाच्या आहेत .”ती” चा
सोबत लग्नांनतर प्रत्येक व्यक्तीच्या साथीला आयुष्याला असतो .
इथे मी “ती” घरात असून नसल्याचा भास आणि इतरत्र कशी मनात
पोकळी निर्माण होते हे आपणास माझा अनुभव इथे विशद करीत आहे .
राधा गेली ,महिनाभर बेचैन आहे ,अचानक मुतखडा असल्याचे निदान
झाल्यामुळे महिनाभर ती त्रास सहन करते आहे ...दरम्यान चार डॉक्टर बधून झाले ..आणि
यात एक महिना निघून गेला .
डॉक्टरच्या सल्ल्यानुसार ऑपरेश हा एकच पर्याय राहिला म्हणून
ती खूप तणावाखाली होती ..एके दिवशी तिने ऑपरेशन करून घेण्याचा निर्णय स्वतः घेतला
आणि मानाने तयार झाली. शनिवारी सांयकाळी वाशी सेक्टर १० मध्ये संपूर्ण रिपोर्ट
दाखऊ असे म्हणत मला थेट शाळेत घेऊन गेली आणि त्याच दिवशी ऑपरेशन करून घेण्याचा
निर्णय हि घेतला . १२ ऑक्टोबर ला तिने खडा काढून घेतला .
तीन दिवसाने सुखरूप
घरी आली ...एकदम निस्तेज पावलाने . ती खूप व्याकूळ झाली आणि थकली .एवढी निस्तेज
आणि व्याकूळ झालेली मी तिला आजच बघतो आहे .घरी आल्यावर एकदम तिच्या अंगात त्राण
उरला न्हवता .सतत तीन दिवस ओकारी करीत
राहिली ,अन्न पाणी वर्ज केली म्हणून दिलेली औषधे टाळू लागली.आणि यातच ती एकदम विक
झाली ..दरम्यान रजेवर होती ,आणि पुढच्या
आठवड्यात कुमुद शाळेला दिवाळी सुट्टी लागणार होती .
एरवी कंबर कसून लक्ष्मी सारख्या हातातील बांगड्या मागे सारत
सकाळी सहा च्या घटके पासून किचन मध्ये मला दिसणारी ती दिसत नाही हे जाणीव मला
तीव्र वेदना करीत होती .या वेळेला ती अशीच जोपून राही .मी पण तिची काळजी
घेण्यासाटी सुट्टीवर होतो ...ती कांही खातच नाही हे बघून माझा जीव भांड्यात पडत
असे ..
नाश्ता ,जूस आणि तिला विचारून अनेक प्रकार मी आणि माझ्या
माय ने तयार करून दिले पण ती खातच न्हवती. .. आम्ही दोघे एकमेकाकडे बघून धीर धरून
होतो .आज मितीला माझी माय नसती तर माझे काय हाल असते ते विचार करावसं वाटत नाही ?
. शेवटी माय ते माय ,तिची सर कोणाला नाही ? माझ्या माय ने खूप तिची सेवा केली .हे
कित्तेक वेळा आम्ही आजमावले आहे .
घरात आम्ही कोणी
आजारी पडले कि तिला कुठून हिम्मत येते माहित नाही वय सत्तर पार करून हि ती अजून
कणखर आहे ...”न सुगर न बिपी” .अशी आई घरो घरी असावी .आम्ही चौघे भावंडे पण तिला
इकडेच माझ्याकडे राहावेशे वाटते ,माझे दादा आम्हाला सोडून गेल्या पासून .
“ती” गेली दोन
आठवडे फक्त विचार आणि विचार करत होती ,झोपण्याचा बहाणा पण ती डोळे बंद करून नुसती
पडून राहत असे .माझा मुलगा आदित्य युके वरून तेंव्हा मायदेशी घरी आली तेंवा ती बरी
होऊ लागली .हळू हळू सकाळी नाश्ता करू लागली आणि परत दिलेल्या गोळ्या घेऊ लागली
...पण तीन दिवसाने तिने मला आदेश दिला कि त्या गोळ्या नकोत ,कचर्यात टाकून द्या !
‘म्हणून तिने परत गोळ्याकडे पाठ फिरवली ..
“ती”चा घरात वावर असणे किती सुखकारक असतो तो “त्या”लाच
कळते ,बाकी सगळा माया बाजार आहे ,मुल –बाळ ,नातेवाईक फक्त क्षणाचे सोबती असतात. ती
अबोल असण ,किंवा अन्थूरनात दिवस रात्र पडून राहणे कूप काळीज पिळून काढत हो .इथे
भावना व्यक्त करण्यास भाषा कमी पडते .
एरवी दिवाळी सणांना
अनेक प्रकारच्या खाऊ ने भरलेले डबे या दिवाळीत रिकामे आहेत ,ती मनात खूप इच्छा असताना हि ,अबोल
झाली आहे .मोठा मुलगा आपल्या मायदेशी परत येण्याने तिचे मन मुरेजून गेले आहे कारण त्याच्या आवडीचे
फराळ ती करू शकत नाही म्हणून. अमर्त्य आणि आदित्य आणि मला आवडणारे पाधार्त न करता
आल्याचा चेहरा मी रीड केला आणि मनातल्या मनात बांधून ठेवला.मी म्हणालो अगोदर बरी
हो मग खूप फराळ कर ,तुला खावासा वाटेल ते ,आम्ही सगळे आहोत न तुला मदत करायला
..तेंव्हा ती गालात हसून आम्हाला साथ दिली तिने .
गेली पंचवीस वर्ष
खूप कष्ठ केले तिने “ति”चा सुखद सहवास मला
लाभला कधी थकलेली मी पहिली नाही तिला ,पण आपल्या स्वतःच्या हलक्या शारीरिक व्याधी
मुळे कधी चिडचिड होते पण थकत नाही .परत नव्या उमेदीने कामाला लागते .हा तिच्या
मनातील मोठ्या मनाचा कप्पा सतत ओपेन असतो
.
ती आजारी असल्या
पासून माझे पण मन खूप बेचैन ,कामात किंवा इतरत्र लक्ष लागत न्हवते...“ती ” आज
मितीला बऱ्या पैकी रीकवर झाली आहे. मी चेहरा रोज सकाळ-संध्याकाळी रीड करीत असतो .आणि यामुळे माझ्यात थोडी टाकत
वाढत चालली आहे.आता ती बरी होत आहे ...
प्रत्येक
पुरुषाला वाटते कि आपली “ती” सुदर आणि सशक्त असवी ,साहजिकच मला पण त्या हि पलीकडे
वाटते .पण वास्तवात तसे नसते ,एकमेकाला समजून घेणे यातच दोघांचे गुण्या -गोविंदाने
सोबत राहणे यातच दोघांचे गुपित असते ,आणि हे प्रत्येक घरात असावे .....’एक “ती” चे
असणे !
प्रा. बालाजी रघुनाथराव शिंदे \ राधा \ ०६ नोवेंबर २०१९
Friday, June 5, 2020
जेष्ठ पौर्णिमा : वैशाख पौर्णिमेला ज्ञानप्राप्ती.
Tuesday, June 2, 2020
दहावी ची पूर्व तयारी : कर्णबधिर विद्यार्थांसाठी विशेष सूचना
दहावी ची पूर्व तयारी : कर्णबधिर विद्यार्थांसाठी विशेष सूचना
दर वर्षी सर्वसाधारण विद्यार्थ्यां सोबत कर्णबधिर विद्यार्थी हि एस एस सी परीक्षेला बसत असतात ,या प्रवर्गातील मुलांची संख्या दर वर्षी वाढत चालली आहे . काही मुले विशेष शाळेतून तर कांही मुले सर्वसाधारण शाळेतून परीक्षेला बसत असतात . तेंव्हा काही गोष्टी ध्यानात घेणं मह्त्वाच आहे . वेळो वेळी महाराष्ट्रराज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण मंडळ ,पुणे आणि मुंबई मिळून अश्या मुलांच्या परीक्षे संधर्भात परिपत्रिकात बदल करून नवीन परीपत्रक परीक्षे अगोदर एक महिना प्रकाशित करीत असते . आणि त्या मध्ये विशेष मुलांसाठी सवलती जाहीर करीत असते .
कर्णबधिर मुलांत भाषा विषयाचे आकलन कठीण जाते , किंवा कमी असते म्हणजे त्यांच्या शाळेतील प्रवेशावर अवलंबून असते . शाळेत जर लवकर प्रवेश मिळाला असेल तर योग्ये यंत्राचा वापर करून ऐकण्याची सवय लावून उचित थेरपी देऊन लवकर भाषा विकास साध्य करता येतो ,आणि उशिरा शाळेत प्रवेश मिळाला असेल तर भाषा विकासाला खीळ येतो ,अश्या मुलांसाठी खास सवलत द्यावी लागते .आणि ती शासन दरबारी देऊ केली आहे .
यात चार भाषेचा समावेश आहे .एक भाषा अभ्यासावी लागते ,आणि इतर विषय म्हणजे टंकलेखन ,चित्रलकला ,शिवण काम यासारखे विषय घ्यावे लागतात . शास्त्र विषया ऐवजी शरीर विज्ञान ,आरोग्य व गृह शास्त्र या सारखे सोप्पे विषय घेऊन एस एस सी परीक्षेला बसता येते . आणि त्यांचा एस एस सी परीक्षेला बसण्याचा मार्ग मोकळा होतो .
सदरील सूचना राज्यातील सर्व शासन मान्य शाळेत परिपत्रक काढुंन पुरवण्यात येते. हि सवलत मंजूर करून देण्यासाठी फॉर्म क्र १ ते ५ सोबत देण्यात येतो . अश्या स्वरूपाचा फार्म भरून अपंग संवर्गानुसार संबंधित जिल्हा चित्सालय अथवा शासनाने निर्देशित केलेल्या रुग्णालयात त्यांच्या वैधकीय प्रमाणपत्राच्या प्रमाणित प्रतिसह त्या त्या शैक्षणिक वर्षात मंडळाकडे ३१ ऑगस्ट पूर्वी मंडळाकडे सादर करावा लागतो . आणि हे बंधनकाकार असते ,कि कोणत्याही अपंग प्रवर्गातील सवलती बाबत मंडळाची पूर्व परवानगी आवश्यक असते . आणि हे परिपत्रक तक्त्यासहित विज्ञार्थी ,पालक ,शाळेचे कर्मचारी ,( शिक्षकेतर व शिक्षक) याची नोंद ठेवण्याचे बंधनकारक आहे .
विविध प्रकरच्या फॉर्म्स मध्ये ,फार्म नंबर १ अंध ,फार्म नंबर २ कर्णबधिर -२;डम्ब फार्म नंबर ३ अंतर्गत , शारीरिक विकलांग ४,पस्टिक ५, फार्म नंबर ४ अंतर्गत लर्निंग विकलांगता ,आणि फार्म नंबर ५ अंतर्गत ऑटिसम या फार्म चा अंतर्भाव आहे . हे सोपस्कार पूर्ण झाल्यावर परीक्षेला बसता येते.
मुलांना विषय निवडीचे स्वतंत्र्य देऊन परीक्षेसाठी पोषक वातावरण निर्माण करून दिले जाते . आणि वरील बाबींची पूर्तता करून झाल्यावर परीक्षेला जाताना पुढील गोष्टी लक्षात ठेवाव्यात याची माहिती पुरवली जाते . जेणे करून चांगल्या प्रकारे परीक्षेत यश संपादन करता यते . परीक्षेला जाण्यापूर्वी काही सूचना जरूर लक्षात ठेवाव्यात :
विशेष : प्रश्न पत्रिकेवर दिलेल्या वेळेपेक्षा ३० मिनिटे अधिकच वेळ दिलेला असतो . या वेळेचा उपयोग सर्व पेपर लिहून झाल्यावर तपासणी साठी वापरण्यात यावा ,लिहलेलं बरोबर आहे का ? ,सर्व प्रश्नाचे उत्तरे लिहली आहेत का ? इत्यादी साठी वापरावा .
घरून निघते वेळी श्रावणयंत्र नीट तपासून कानाला लावून जावे .
परीक्षेचे ठिकाण ,वेळ याची खात्री करून इच्छित निश्चित स्थळी जावे
आपल्या हातात मिळालेली प्रश पत्रिका आपलीच आहे का ते तपासून पाहावे ,आणि काही शंका असेल तर उपस्तित शिक्षकांना/पर्यवेक्षकाला विचारून शंकेचे निरसन करून घ्यावे . विषय बदल झाला असेल तर खात्री करून घ्यावी . कर्णबधिरांसाठी असलेल्या विशेष शाळेतून जे विज्ञार्थी एस एस सी परीक्षेला बसले आहेत आणखी काही महत्वाच्या सूचना देणे महत्वाचे आहे .
उत्तर पत्रिकेवर स्वछ आणि सुवाच्च अक्षरात लिहावे ,कुठे पेपर खराब होणार नाही याची काळजी घ्यावी . स्वतःचा क्रमांक मोठ्या अक्षरात व ठळक लिहावा . हे सर्व करण्यासाठी घरी सराव करावा लागतो .
उत्तर पत्रिकेत खडाखोड करू नये . अक्षर मोठे व दूर दूर व सारख्या अंतरावर लिहावे .
नवीन प्रश्नाचे उत्तर लिहण्यासाठी नवीन पानावर सुरुवात करावी .
प्रश व उत्तरचे अंक नीट लिहावेत . पेपर संपूर्ण सोडवावा ,आपल्याला येत असेलली प्रश सुरुवातीला लिहावे .
चुका कमी करण्यासाठी पत्र ,गोस्ट आणि निबंध लिहीत असताना वाक्य लहान तयार करावीत ,जेणेकरून चुका होणार नाहीत . पत्रात स्वताचे नाव घालू नये पत्रातील पत्ता सुवाच्च आणि आटोपशीर असावा . दिलेली गोष्ट लिहीत असताना २-३ वेळा वाचून काढावी .,त्याचे परिच्छेद पाडावेत ,गोष्टीला शीर्षक म्हणजे नाव द्यावे ,नामे ,विशेष नाव लिहावीत ,उदा . राजा ,गाव ,मुलगा ,मुलगी इत्यादी . निबंध लिहीत असताना जो आपल्या आवडीचा आणि माहितीचा असेल तोच लिहावा ,आणि वेळ वाया घलू नये .त्यामुळे वेळ वाचतो व आवडीचाच विषय असल्यामुळे मार्क जास्त मिळण्यास मदत होते .
प्रश्न व उप्र प्रश्नाचे अंक नीट लिहावेत .
भूगोल ,विज्ञान आणि भूमिती ,या मध्ये ठळक अक्षराने व टोकदार पेन्शील ने लिहाव्यात . भूगोल मधील नकाशे सूची रेखीव पद्धतीने लिहावीत . आवशक्य तेथे आकृत्या काढायला विसरू नये ,कारण याचे मार्क सहज मिळत असतात . आकृत्यांवरील सूचना वाचून तशी कृती करावी .
अश्या मुलासाठी गृहविज्ञान खूप महत्वाचे आहे . या विभागात करणे द्या याला दोन गुण असतात . एखादे कारण विचारले असेल तर ते बाजूलाच आकृती काढून नाव द्यावे लागते . आकृती काढल्या मुळे जास्तीचे मार्क जरूर मिळतात . एखादे उदाहरण विचारले असेल आणि आकृती लढण्याचे विचारले नसेल तर जरूर आकृती काढावी ,कारण आकृती वाढल्यावर पर्यवेक्षकाला कळते कि या मुलास प्रश्नाचे पूर्ण आकलन झाले आहे .
अर्थशात्र, विज्ञान ,आणि इतिहास भूगोल यातील काही मोठे प्रश्न अधोरेखित करावे ,तसेच गाळलेले आणि महत्वाचे शब्द अधोरेखित करावे . हे करीत असताना कोठेही लाल शाई ,पेन्शील वापरू नये .
प्रशपत्रिका वाचून झाल्यावर अथवा वाचत असताना मुले काही लिहीत असतात ,तसे करता कामा नये .
कच्ची गणिते उत्तरपत्रिकेच्या डाव्या बाजूवर लिहावेत . पक्की केल्यावर त्या ठिकाणी x अशी फुल्ली मारावी .
परीक्षेला जाताना सर्व वर्ग शिक्षकाने सांगितलेल्या गोष्टी बरोबर घ्याव्यात ,आणि त्याने दिलेल्या नियमांचे वेळो वेळी पालन करावे
या मुलांसाठी सर्वात महत्वाचा भाग म्हणजे प्रात्यक्षिक होय , प्रात्यक्षिकात गृहशात्र ,आरोग्य शास्त्र ,शरीर शास्त्र ,या विषयाची काळजी घेणे अत्यंत महत्वाचे आहे . विचारलेल्या प्रश्नांची उत्तरे मोजक्या व नेमक्या वाक्यात द्यावी .उत्तरे पूर्ण वाक्यात देण्याचा प्रयत्न करावा . त्यासाठी आकृत्यांचा नीट व रोज अभ्यास करावा लागतो . शेवटी आपणास मिळालेल्या अर्ध्यां तासाचा पूर्ण वापर करावा आणि नीट व सुवाच्च अक्षरात लिहण्याचा प्रयत्न करावा ,यश तुमच्या दारी उभे आहे .
विशेष गरज असणाऱ्या (अपंग) विद्यार्थ्याना दिल्या जाणाऱ्या सवलती :आणि यात येणारे अपंग संवर्ग :
अंध विज्ञार्थी
कर्णबधिर विज्ञार्थी
अस्थिव्यंग विध्यार्थी
बहुविकलांग विध्यार्थी /(सेरेब्रल पाल्सी)
5. अध्ययन अक्षमता विध्यार्थी
6. स्वमग्न
ऑटिझमग्रस्त विध्यार्थी
क्र | अपंगांचा प्रकार | अपंग कोड क्र. | वेळेची सवलत | सवलती | विषय सवलत |
०१ | अंध | १ | प्रति तास २० मिनिटे | १. निवडी प्रमाणे परीक्षा केंद्र दिले जाईल . २. मंडळाच्या नियमास अधीन राहून आवश्यक्त्यानुसार व मागणी नुसार लेखनिक देनाय्त येईल . ३.आकृती ,नकाशे, आलेख इत्यादी काढण्यापासून सूट देण्यात येईल . ४. विज्ञान आणि तंत्रज्ञान विषयांची प्रात्यक्षिक परीक्षा मौखिक सौरूपात देण्याची मुभा देण्यात येईल . | १. प्रथम भाषा १०० गुण २. द्वितीय भाषा १०० गुण ३. तृतीय भाषा १०० गुण ४. गणित किंवा सामान्य गणित किंवा इ. ७ वीचे अंकगणित व त्या सोबत कार्यशिक्षण विषयांपैकी कोणताही एक विषय . ५. विज्ञान व तंत्रज्ञान विषय किंवा शरीरशास्त्र,आरोग्यशाश्त्र व गृहशास्त्र विषय . ६.इतिहास -राज्यशास्त्र व भूगोल अर्थशात्र |
०२ | कर्णबधिर मूकबधिर | ३ २ | ३० मिनिटे अधिक वेळ | १.निवडी प्रमाणे जवळचे परीक्षा केंद्र दिले जाते . | विषय १. प्रथम भाषा १०० गुण २. द्वितीय भाषा १०० गुण ३. तृतीय भाषा १०० गुण किंवा एक भाषा विषय अनिवार्य व कार्यशिक्षण विषयांपैकी कोणतेही दोन विषय . ४. गणित किंवा सामान्य गणित किंवा इ. ७ वीचे अंक गणित व त्या सोबत कार्य शिक्षण विषय पैकी कोणताही एक विषय . ५. विज्ञान व तंत्र ज्ञान विषय किंवा शरीर शाश्त्र व गृह शाश्त्र विषय . ६.इतिहास राज्यशाश्त्र व भूगोल -अर्थशाश्त्र . टीप : कार्य शिक्षांतर्गत निवडलेले विषय भिन्न असावेत |
०३ | अस्थिव्यंग | ४ | प्रति तास २० मिनिटे | १.निवडी प्रमाणे जवळचे परीक्षा केंद्र दिले जाते. २. विज्ञार्थी हाताने अपंग आल्यास आकृती नकाशे आलेख इत्यादी काढण्यापासून सूट देण्यात येईल . ३.हाताने अपंग असल्यास लेखनिक देण्यात येईल . ४.शारीरीक विषयात सूट दिली जाते | |
०४ | बहुविकलांग (सेरेब्रल पाल्सी) | ५ | बहू विकलांग १ तास २० मिनिटे.
सेरेब्रल पाल्सी प्रति तास २० मिनिटे | १.निवडी प्रमाणे जवळचे परीक्षा केंद्र दिले जाते. २. उत्तरपत्रिका टाईप करून व किंवा लिहून देण्याची परवानगी दिली जाते. ३.हाताने अपंग असल्यास लेखनिक देण्यात येईल . ४.शारीरीक विषयात सूट दिली जाते | १. प्रथम भाषा १०० गुण २. द्वितीय भाषा १०० गुण ३. तृतीय भाषा १०० गुण किंवा एक भाषा विषय सूट कार्यशिक्षण विषयांपैकी कोणतेही एक विषय . ४. गणित किंवा सामान्य गणित किंवा इ. ७ वीचे अंक गणित व त्या सोबत कार्य शिक्षण विषय पैकी कोणताही एक विषय . ५. विज्ञान व तंत्र ज्ञान विषय किंवा शरीर शाश्त्र व गृह शाश्त्र विषय . ६.इतिहास राज्यशाश्त्र व भूगोल -अर्थशाश्त्र . टीप : कार्य शिक्षांतर्गत निवडलेले विषय भिन्न असावेत |
०५ | अध्ययन अक्षमता | ६ | २५ टक्के जादा वेळ प्रति तास १५ मिनिटे | १.निवडी प्रमाणे जवळचे परीक्षा केंद्र दिले जाते. २. आकृती नकाशे इ काढण्यापासून सूट देनाय्त येते . गणित या विषयात कॅल्कुलेटर वापरता येईल ,पण मोबाइलला चा कॅल्क्युलेटर नसावा . मंडळाच्या नियमात अधीन राहून आवशक्यतेनुसार व मागणी नुसार लेखनिक देण्यात येईल | १. प्रथम भाषा १०० गुण २. द्वितीय भाषा १०० गुण ३. तृतीय भाषा १०० गुण किंवा एक भाषा विषय ऐवजी कार्यशिक्षण विषयांपैकी कोणतेही एक विषय . ४. गणित किंवा सामान्य गणित किंवा इ. ७ वीचे अंक गणित व त्या सोबत कार्य शिक्षण विषय पैकी कोणताही एक विषय . ५. विज्ञान व तंत्रज्ञान विषय किंवा शरीर शाश्त्र व गृह शाश्त्र विषय . ६.इतिहास राज्यशाश्त्र व भूगोल -अर्थशाश्त्र . टीप :फक्त डिसकालकुलीया विधायर्त्यांचया ७ वीचे अंक गणित हा विषय घेता येईल .
कार्यशिक्षांतर्गत निवडलेले विषय भिन्न असावेत |
०६ | स्वमग्न ऑटिझमग्रस्त | ७ | प्रति तास २० मिनिटे | १. ऑटिझमग्रस्त उमेदवार ज्या शाळेत विज्ञार्थी असेल त्या शाळेत त्याच शाळेत परीक्षेची व्यवस्था करण्यात येते किंवा मागणी नुसार जवळच्या शाळेत केंद्र म्हणून दिले जाते .
२. आकृती नकाशे इ काढण्यापासून सूट देनाय्त येते .
३. गणित या विषयात कॅल्कुलेटर वापरता येईल ,पण मोबाइलला चा कॅल्क्युलेटर नसावा . ४.४. विज्ञान आणि तंत्रज्ञान विषयांची प्रात्यक्षिक परीक्षा मौखिक सौरूपात देण्याची मुभा देण्यात येईल . ५. कारक कौशल्याचा विकास न झालेली औतिस्तिक विधायर्त्याना कॉम्पुटर वापरण्याची परवानगी देनयेत येईल . मात्र त्या कॉम्पुटर वर पूर्वीची कोणतीही माहिती असता काम नये . | १. प्रथम भाषा १०० गुण २. द्वितीय भाषा १०० गुण ३. तृतीय भाषा १०० गुण किंवा एक भाषा विषय अनिवार्य व कार्यशिक्षण विषयांपैकी कोणतेही दोन विषय . ४. गणित किंवा सामान्य गणित किंवा इ. ७ वीचे अंक गणित व त्या सोबत कार्य शिक्षण विषय पैकी कोणताही एक विषय . ५. विज्ञान व तंत्रज्ञान विषय किंवा शरीर शाश्त्र व आरोग्य शस्त्र व गृह शास्त्र विषय . ६.इतिहास राज्यशास्त्र व भूगोल -अर्थशास्त्र .
टीप : कार्यशिक्षांतर्गत निवडलेले विषय भिन्न असावेत |
प्रा. बालाजी रघुनाथराव शिंदे
9702158564
balajishinde65@gmail.com
विस्तार सेवा सहायक (विषेष शिक्षा )
विस्तार सेवा विभाग ,
अली यावर जंग राष्ट्रीय दिव्यांगजन संस्था ,बांद्रा रिक्लेमेशन ,बांद्रा (प ),मुंबई -४०० ०५०
(सामाजिक न्याय आणि अधिकारिता मंत्रालय ,भारत सरकार )
अमर्त्य सेन
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स्पर्श एक एहसास है जो बचपन से लेकर अंतिम सांस तक सचेत रहता है। पहला स्पर्श माँ से होता है , जन्म के तुरंत माँ अ...