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NERUL WEST, MAHARASHTRA, India
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Tuesday, July 20, 2021

सत्य का पक्षकार :बाबासाहेब अम्बेडकर

आज कल लोग दलित शब्द का सरेआम इस्तेमाल करते हुए दिखाई देते है,जब कि कानून में दलित शब्द को निष्कासित किया है ..

आज एक  कवि की इस तरह बधाई की गयी है ...
दलित शब्द हटाकर लिखते तो उनका सही सन्मान होता।
दलित prefixed लगानेका मतलब ही होता है ,अपमान ।

कई सालोंसे इन लोगोने 'दलितांचे कैवरी बाबासाहेब' लिखकर उन्हें पुनः दलित बनाया ? ये कोनसा षड्यंत्र है ।

बचपन मे ४थी मराठी भाषा  की एक किताब थी उसमें एक पाठ था ,जिसका नाम था 'दलितांचे कैवारी बाबासाहेब अम्बेडकर'?

क्या बे सिर्फ दलित ,बहुजन के ही पक्ष में थे ,नही ? वे सम्पूर्ण विश्व के कैवारी थे ,महिला ,पीड़ित वर्ग,मजदूर कामगार और जहाँ अन्याय होता था वहाँ  भी वे कैवारी के रूप में हिमालय की तरह खड़े होते थे ,इतिहास गवाह है ।

यह किसी महामानव को छोटा करनेकी साजिश है .इस तरह के षड्यंत्र को पहचाने और सतर्क रहें .

(नोटः कैवरी (मराठी) का मतलब होता है ,सचाई और न्याय के पक्ष में रहना )

बा. र.शिंदे ,नेरुल ७०६
(#मिनांडर)

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