Tuesday, June 2, 2020

भगवान बुद्ध और गणिका आम्रपाली.

भगवान बुद्ध और गणिका आम्रपाली.

आज २ जून ,जागतिक 'सेक्स  वोर्कर्स डे ' के रूप मे मनाया जाता है । ये आज फेसबुक पर देखकर मुझे #गणिका #आम्रपाली बुद्धकालीन नर्तकी की कथा याद आयी जो अंत मे भिकुनी बन गयी ... 

क्या सदियोसे ये रीति चलकर आयी है या लाई गयी है यह कहना मुश्किल है लेकिन आज पूरे संसार मे इस व्यवसाय को लिखित या अलिखित मान्यता सरे आम दिखाई देती है । 
गणिका का मतलब जानना जरूरी है । गणिका मतलब एक सुंदर और लावण्यवाती स्त्री जिसकी तुलना अन्ये नारी  से बराबरी नहीं की जाती है वैसे ही बुद्धकाल मे गणिका आम्रपाली ,आम्बपालि थी जो अति सुंदर #शहरवधू थी ।  
गणिका धन लेकर संभोग करने वाली स्त्री साहित्य में, वह नायिका जो केवल धन के लोभ से लोगों का मनोरंजन करती हो। उसे वेश्या नायिका या गणिका कहते है । रहस्य संप्रदाय़ में, मायाजाल से मनुष्यों को अपने जाल में फँसायें रखती है।
 महानगरों मे गणिका का मोहल्ला अलग होता है ! जैसे मुंबई मे कमाटीपूरा और भिंडीबाजार । 

गणिका गृह-गणिकाओ का निवास स्थान! कई शहरो मे अलग अलग होता है । साहित्य में, मे पाया गया है की वह नायिका जो केवल धन के लोभ से लोगों का मनोरंजन करती हो और आफ्ना घर परिवार चलती हो । उसे रंडी और वेश्या भी कहते है । 

यह कहानी है भारतीय इतिहास की सबसे खूबसूरत महिला के नाम से विख्यात ‘आम्रपाली’ की, जिसे अपनी खूबसूरती की कीमत वेश्या बनकर चुकानी पड़ी थी ।   
आम्रपाली ने अपने लिए ये जीवन खुद नहीं चुना था, बल्कि वैशाली नगर में शांति बनाए रखने के लिए उसे किसी एक की पत्नी नहीं बनाया गया। उसने सालो तक वैशाली के धनवान लोगों का मनोरंजन किया था ।  लेकिन जब वह तथागत गौतम बुद्ध के संपर्क में आई तो सबकुछ छोड़कर बौद्ध भिक्षुणी बन गई। आम्ब्पाली  का जन्म लगभग ५०० -६००  ईसा पूर्व अज्ञात अभिभावकों के लिए हुआ था, वैशाली में शाही उद्यान में से एक आम के पेड़ पर अनायास पैदा हुए थी  व्युत्पत्ति के अनुसार, उसके नाम पर वेरिएंट दो संस्कृत शब्दों के संयोजन से प्राप्त हुए हैं: "अमरा", जिसका अर्थ है ‘आम’ और "पल्लवा", जिसका अर्थ है युवा पत्ते या स्प्राउट्स। यहां तक कि एक युवा युवती के रूप में कहा जाता है । वह एक  असाधारण सुंदर स्त्री थी , ऐसा कहा जाता है कि  , वैशाली मे अम्बारा जैसे छोटेसे  गांव परीसे से भी सुंदर थी । 
भगवान बुद्ध राजगृह जाते या लौटते समय वैशाली में रुकते थे जहाँ एक बार उन्होंने आम्रपाली  का भी आतिथ्य ग्रहण किया था। बौद्ध ग्रंथों में बुद्ध के जीवनचरित पर प्रकाश डालने वाली घटनाओं का जो वर्णन मिलता है उन्हीं में से आम्रपाली के संबंध की एक प्रसिद्ध और रूचिकर घटना है। 
कहते हैं, जब तथागत एक बार वैशाली में ठहरे थे तब जहाँ उन्होंने देवताओं की तरह दीप्यमान लिच्छवि राजपुत्रों की भोजन के लिए प्रार्थना अस्वीकार कर दी, वहीं उन्होंने गणिका आम्रपाली की निष्ठा से प्रसन्न होकर उसका आतिथ्य स्वीकार किया। इससे गर्विणी आम्रपाली ने उन राजपुत्रों को लज्जित करते हुए अपने रथ को उनके रथ के बराबर हाँका। उसने संघ को आमों का अपना बगीचा भी दान कर दिया था जिससे वह अपना चौमासा वहाँ बिता सके।
इसमें संदेह नहीं कि आम्रपाली ऐतिहासिक व्यक्ति थी। संभवत वह अभिजात कुलीना थी और इतनी सुंदर थी कि लिच्छवियों ( आज भी यह जनजाति राजस्थान के कही इलाखों मे पायी जाती है ) की परंपरा के अनुसार उसके पिता को उसे सर्वभोग्या बनाना पड़ा। इसपश्चात  उसने गणिका जीवन भी बिताया था और उसके कृपापात्रों में शायद मगध का राजा बिंबिसार भी था। । जो भी हो, बाद में बुद्ध के उपदेश से प्रभवित हो आम्रपाली ने बुद्ध और उनके संघ की अनन्य उपासिका हो गई थी और उसने अपने पाप के जीवन से मुख मोड़कर अर्हत् का जीवन बिताना स्वीकार किया।
गणिकाओं में दो तरह की गणिकाएं स्त्रियां
गणिकाओं में दो तरह की स्त्रियां होती थीं, कोठे पर रहने वाली और निजी घरों में रहने वाली। गणिकाओं को उच्चवर्गीय शिक्षित तथा गुणी वेश्याओं के तौर पर समझा जाता था। गणिकाओं का यद्यपि सामंत, जमींदारों, उच्चवर्गीय कुलीनों के बीच सम्मान जरूर था, लेकिन ‘घर-बाहर’ के दायरे में वे बाहर की प्रतिनिधि थीं, जो स्त्रियों के लिए सम्मानजनक नहीं माना जाता था। और आज भी नहीं माना जाता है । और देवदासी उक्त तरह की महिलाएं किसी धर्म के कार्य के लिए अपना जीनन अर्पित कर देती थी। आज भी कर्नाटक और आंध्र के कई राज्यो मे यह गणिकाये पायी जाती है । 
नगरवधू शब्द का चलन खासकर उस क्षेत्र में ज्यादा प्राचलित था जहां बौद्ध संघ का प्रभाव था। वैशाली की नगरवधू के बारे में पढ़ने को मिलता है। आचार्य चतुरसेन ने आम्रपाली नामक एक नगरवधू पर उपन्यास लिखा है। इसी तरह देवदासी प्रथा पर देवांगना नाम का एक उपन्यास पढ़ने को मिलता है। आम्रपाली के भिक्षुणी हो जाने के बाद उसके महल और उपवनों को चातुर्मास में सभी भिक्षुओं के रहने के लिए उपयोग में लिया जाने लगा था। आगे चलकर वह बुद्ध के संघ में सबसे प्रतिष्ठित भिक्षुणियों में से एक बनीं।
इस नगरवधू के पास उसकी कई दासियां, कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी होते थे। नगरवधू का देवियों की तरह सम्मान किया जाता था। यह भी कहा जाता है कि इस नगरवधू के साथ रात गुजारने की कीमत इतनी ज्यादा होती थी कि शाही परिवार के अलावा कोई अन्य इसे जुटाने की सामर्थ्य नहीं कर पाता था। लेकिन यह भी सत्य है कि यहां इसके अलावा नृत्य और सूरापान की विशेष व्यवस्था होती थी, जहां कुछ कीमत चुकाकर उसका लाभ उठाया जा सकता था। हालांकि इन नगरवधुओं के महल नगर क्षेत्र से बाहर होते थे और नगर में किसी भी प्राकार के अवैधानिक कार्य नहीं होने दिए जाते थे। उक्त काल में इस तरह की व्यवस्था को आज के कालानुसार वैश्यावृत्ति का वैधानिक और व्यवस्थित तरीका माना जा सकता है। जो आजके बड़े शहरो मे पाया जाता है जैसे कलकत्ता ,दिल्ली मुंबई और मेट्रो मे । 
आम्रपाली जब बड़ी हुई....…
आम्रपाली के माता-पिता का तो पता नहीं,उपरोक्त बताए हुये तथोंके आधार पर , लेकिन जिन लोगों ने उसका पालन किया उन्हें वह एक आम के पेड़ के नीचे मिली थी, जिसकी वजह से उसका नाम आम्रपाली रखा गया। वह बहुत खूबसूरत थी, उसकी आंखें बड़ी-बड़ी और काया बेहद आकर्षक थी। जो भी उसे देखता था वह अपनी नजरें उस पर से हटा नहीं पाता था. लेकिन उसकी यही खूबसूरती, उसका यही आकर्षण उसके लिए शाप बन गया। और येही आगे सच हुवा उसे नगरवधू ही बनकर उम्रभर रहना पड़ा ,परंतु एक आम लड़की की तरह वो भी खुशी-खुशी अपना जीवन जीना चाहती थी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। वह अपने दर्द को कभी बयां नहीं कर पाई और अंत में वही हुआ जो उसकी नियति ने उससे करवाया।
आम्रपाली जैसे-जैसे बड़ी हुई उसका सौंदर्य चरम पर पहुंचता गया जिसकी वजह से वैशाली का हर पुरुष उसे अपनी दुल्हन बनाने के लिए बेताब रहने लगा। लोगों में आम्रपाली की दीवानगी इस हद तक थी की वो उसको पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे। यही सबसे बड़ी समस्या थी। आम्रपाली के माता-पिता जानते थे की आम्रपाली को जिसको भी सौपा गया तो बाकी के लोग उनके दुश्मन बन जाएंगे और आम्रपाली के चलते  वैशाली में खून की नदिया बह जाएंगी। इसीलिए वह किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे। अब करे की क्या करे ,इसी समस्या और द्विधा अवस्था  का हाल खोजने के लिए एक दिन वैशाली में सभा का आयोजन किया  हुआ था।
इस सभा में मौजूद सभी पुरुष आम्रपाली से विवाह करना चाहते थे जिसकी वजह से कोई निर्णय लिया जाना मुश्किल हो गया था। इस समस्या के समाधान हेतु अलग-अलग विचार प्रस्तुत किए गए लेकिन कोई इस समस्या को सुलझा नहीं पाया, लेकिन अंत में जो निर्णय लिया गया उसने आम्रपाली की तकदीर को अंधेरी खाइयों में धकेल दिया। सर्वसम्मति के साथ आम्रपाली को नगरवधू यानि वेश्या घोषित कर दिया गया। और वह वैश्या  बनी ।
दुनिया की महान संस्कृतियों में से एक हिन्दू, बौद्ध, रोमन और ग्रीक सभ्यता में सेक्स को लेकर भिन्न भिन्न मान्यताएं थे लेकिन यह विषय उतना वर्जित नहीं था जितना की मध्यकाल में माना जाने लगा। हालांकि उस काल के लोग इसे आम सामाजिक जीवन से दूर रखकर वैधानिक दर्जा देकर इसे समाज में फैलने से रोकने की युक्ति भी जरूर मानते थे।
प्राचीन काल में #वैश्या को उतना बुरा नहीं माना जाता था जितना की आज। उक्त काल में ये महिलाएं ऐसे लोगों की सेक्स इच्छा दूर करती थी जो किसी सैन्य अभियान पर है या जिसने धर्म-संस्कृति आदि के महत्वपूर्ण कार्य के लिए गृहस्थ जीवन त्याग दिया है। इसके अलावा तंत्र मार्ग हेतु भी इस तरह की महिलाएं बहुत सहयोग करती थी। इसके अलावा ऐसी महिलाएं धनवान और राज परिवार के लोगों को संतुष्ट करने और उनके लिए जासूसी का कार्य करने का काम भी करती थी। इतिहास कल मे इनका महत्व कुछ और था । 
इतिहासकारों का मानना है कि ११  वर्ष की छोटी-सी उम्र में ही आम्रपाली को सर्वश्रेष्ठ सुंदरी घोषित कर नगरवधु या वैशाली जनपद 'कल्याणी' बना दिया गया था। इसके बाद गणतंत्र वैशाली के कानून के तहत आम्रपाली को राजनर्तकी बनना पड़ा।
 प्रसिद्ध चीनी यात्री #फाह्यान और #ह्वेनसांग के यात्रा वृतांतों में भी वैशाली गणतंत्र और आम्रपाली पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। दोनों ने लगभग एकमत से आम्रपाली को सौंदर्य की मूर्ति बताया। वैशाली गणतंत्र के कानून के अनुसार हजारों सुंदरियों में आम्रपाली का चुनाव कर उसे सर्वश्रेष्ठ सुंदरी घोषित कर जनपद कल्याणी की पदवी दी गई थी। 
 आम्रपाली के रूप की चर्चा जगत प्रसिद्ध थी और उस समय उसकी एक झलक पाने के लिए सुदूर देशों के अनेक राजकुमार उसके महल के चारों ओर अपनी छावनी डाले रहते थे। #वैशाली में गौतम बुद्ध के प्रथम पदार्पण पर उनकी कीर्ति सुनकर उनके स्वागत के लिए सोलह श्रृंगार कर अपनी परिचारिकाओं सहित गंडक नदी की तीर पर पहुँची। 
माना जाता है कि जब बुध ने क्षुणी संघ की स्थापना की थी तब इस संघ के जरिए भिक्षुणी आम्रपाली ने नारियों की महत्ता को जो प्रतिष्ठा दी वह उस समय में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी।
मगध #सम्राट #बिंबसार ने आम्रपाली को पाने के लिए वैशाली पर जब आक्रमण किया तब संयोगवश उसकी पहली मुलाकात आम्रपाली से ही हुई। आम्रपाली के रूप-सौंदर्य पर मुग्ध होकर बिंबसार पहली ही नजर में अपना दिल दे बैठा। माना जाता है कि आम्रपाली से प्रेरित होकर बिंबसार ने अपने राजदरबार में राजनर्तकी के प्रथा की शुरुआत की थी। 
बौद्ध धर्म के इतिहास में आम्रपाली द्वारा अपने आम्रकानन में भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों को निमंत्रित कर भोजन कराने के बाद दक्षिणा के रूप में वह आम्रकानन भेंट देने की बड़ी ख्याति है। इस घटना के बाद ही बुद्ध ने स्त्रियों को बौद्ध संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी। आम्रपाली इसके बाद सामान्य बौद्ध भिक्षुणी बन गई और वैशाली के हित के लिए उसने अनेक कार्य किए। उसने केश कटा कर भिक्षा पात्र लेकर सामान्य भिक्षुणी का जीवन व्यतीत किया। 
 
विदेशी पर्यटकों के यात्रा वृतांतों में वैशाली और वैशाली की नगर वधु अप्रतिम सुंदरी आम्रपाली का जो वर्णन किया गया है न केवल काफी महत्वपूर्ण है बल्कि इससे वैशाली गणराज्य के वैभव-संपन्नता और स्वर्णिम इतिहास की झलक भी मिलती है। 

करीब डेढ़ दशक पूर्व वैशाली महोत्सव समिति ने अंबारा गाँव में आम्रपाली की संगमरमर की एक आदमकद प्रतिमा स्थापित करने और आकर्षक आम्रकानन के निर्माण की योजना तैयार की थी। इसके साथ ही वहाँ स्थित प्राकृत जैन शोध संस्थान में उसकी कला चेतना के अध्ययन तथा शोध की व्यवस्था होनी थी, लेकिन अभी तक इस योजना को मूर्त रूप देने मे प्रशासन विफल रहा है जिससे आम्रपाली आज भी उपेक्षित है। और यह नारी होने और गणिका होने के कारण ही हुवा हो । 

अतः गौतम बुद्ध के जीवन में जो भी आया उनका ही जीवन आफ्ना लिया ,जैसे अनकही  कई ऐसे लोग आए, जो अपने जीवन में कुछ और थे और भगवान बुद्ध से मिलने के बाद पूरी तरह बदल ही गए। 
भगवान बुद्ध के साथ रहने और उनके विचारों का कमाल था कि कई लोग अपना पुराना जीवन छोड़कर उनके साथ हो गए। आम्रपाली भी उनमें से एक थी, जो वेश्या से बौद्ध भिक्षुक बनी। आम्रपाली की कहानी हमें बताती है कि हमारा जीवन कितना ही बुरा क्यों ना गुजर रहा हो अगर हम किसी सही इंसान के साथ हो जाएं तो फिर जीवन को पूरी तरह बदला जा सकता है।

प्रा बालाजी रघुनाथराव शिंदे
९७०२१५८५६४
balajishinde65@gmail.com.

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